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कविता की रोटी / नाओशी कोरियामा
Kavita Kosh से
इस लोंदे में
मिश्रित करो
अपनी प्रेरणाओं का ख़मीर ।
इसे खूब गूँदो
प्यार के पानी संग ।
अब
इसकी लोई बनाओ ।
इस काम में खर्च कर दो
अपनी पूरी ताक़त ।
रख दो इसे कहीं भी
तब तक
जब तक कि फूल कर
बन न जाय यह एक बड़ा पिण्ड
अपने ही भीतर के बल को सहेज कर ।
इसे फिर से गूँदो
आकार दो गोल-गोल
और अब सेंकते रहो इसे
अपने हृदय की भठ्ठी में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह