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कवियों से मुलाक़ात / यूनीस डिसूजा / ममता जोशी

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कवियों से मिलते समय
मेरा चित्त
व्याकुल हो जाता है

कभी उनके मोजो़ं के रंग पर
ध्यान जाता है
कभी लगता है बाल नकली हैं
विग पहन रखा है
आवाज़ में बर्रे के ज़हरीले दंश
पूरा माहौल सीलन से बोझिल-सा लगता है

बेहतर होगा उनसे कविताओं में ही मिला जाए
जैसे धब्बों से भरी चित्तीदार
ठण्डी उदास सीपियॉं

जिनमें
सुनाई देती है
सुदूर समुद्र की
सुकून भरी आवाज़

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : ममता जोशी