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कहना भी बदलना है / रणजीत
Kavita Kosh से
परेशान मत हो
पानी पी और सो
क्यों जान जलाता है
जो होता है सो हो
यह कैसे हो सकता?
उठ जा अपना मुँह धो
आँखें खोल के देख
तन्द्रा में मत खो
सब सामने आ जाये
भला बुरा है जो
भले न लड़ उससे
बद को बद कह तो
कहना भी बदलना है
उससे फटती है पौ।