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कहाँ / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
रातें खालीपन में प्रवेश करने के लिए होती हैं
मेरी देह
जैसे एक खुला दरवाज़ा
इसके लिए
मेरे पास तुम्हें बताने के लिए कुछ बातें हैं
मैं एक गहरा कुआँ
जब देखती हूँ तुम्हारी तरफ
एक के बाद एक अग्निशिखाएँ
जब मैं दूर करती हूँ
तुम्हें अपने ज़ेहन से
पृथ्वी ऐसी ही है
लोगों के मुँह में
शब्द हैं
शब्दों के भीतर
अकेलापन है
मैं एक ठण्डा स्वप्न हूँ
यदि मैं खुद को अलग कर लूँ इस दुनिया से
— यदि अलग कर भी लूँ —
तो इसे रखूँगी कहाँ ?