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काईं करूं / राजू सारसर ‘राज’
Kavita Kosh से
दोन्यू हाथ जोड्यां
बैठ्यां हूं
थानां रै आगै
घणीं ताळ सूं
छाणां रा धूपियां
ऊपर होम रैयो हूं
देसी घी निखाळस
चढावो मेज्यो है
फूल-पतासा अर लाडू
देवता पण अजै ई
नीं बावड्या
लागै देवता रो
दोस है कोई
म्हारै माथै
कै टाबरां कर दिया
धूपियां नै एैंठा
चूल्है में फूंक देय’र
देवता रूसग्या
बां भोळा टाबरां रै
टाबरपणै नैं भूलतां
म्हूं कांई करूं......बताओ !