कादम्बरी / पृष्ठ 50 / दामोदर झा
39.
मोन नीक नहि अछि कहि सब सखिगणहिं बिदा कय देले,
हुनके गुण सुमिरैत शून्यमति वास सेज पर लेले।
गेल छलहुँ हम कतय कहल ओ की मन कतय धरै छी,
नहि बुझाय होइछ की हमरा ई कोन काज करै छी॥
40.
किछए छन मे पानपात्रधारिणी हमर छल आयल,
नाम तरलिका नेहक भाजन समाचार छल लायल।
कहलक कान उपर जे मुनि मंजरी तोर छल रखने,
तोरा अयने झाँखुड़ पथ हमरा लग आयल तखने॥
41.
तोहर नाम स्वभाव वंश सबटा हमरासँ पुछलनि,
कहला पर बल्कल टुकड़ी लय किछ-किछु आखर लिखलनि।
कहलनि तोर उदार रूप अछि ई मनकाम पुरयबह
एसगरिमे हुनका ई चिट्ठी हमर कृपा कय देबह॥
42.
परम विनीत भावसँ हमरा बेरि-बेरि ई कहलनि,
इएह पत्र अछि लिअ पढ़ जे किछु एहि मे ओ लिखलनि।
तखन तरलिका केर करसँ उत्सुक भय चिट्ठी लेलहुँ
बड़ सुन्दर अक्षरे लिखल छल ई आर्या हम पढ़लहुँ॥
43.
थ्वससितहारलतासँ,
बहुत दूर धरि हमर लोभायल ई।
मानसजन्मा आसा,
धयने आयल अहींक पथे॥