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कादम्बरी / पृष्ठ 60 / दामोदर झा

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89.
लागल नीक सैह तत्क्षण ओ युग सन राति बितओलहु
संग तरलिका पल पल नरकक भोग दुसह हम सहलहुँ।
प्रातहिं आबि नहाय सरोवर सैह जपक माला लय
आशासँ लय हुनक कमण्डल लगलहुँ शिव आराधय॥

90.
ककरहुसँ ई समाचार सुनि पिता मातु संग अयले
परिजन संग सखी सब हमरो बहुतो भाँति बुझओले।
हमर अटल सिद्धान्त निरखि आश्चर्यचकित सब रहले
आशा छोड़ि शोक संग लय के घुरि अपना घर गेले॥

91.
से हम छी निर्लज्ज पापकारिणी शोक केर वासे
गर्हित जीवन निष्फल जन्म सकल सुखभोग निराशे।
पूछि हयत की राजकुमर वृत्तान्त हमर सुनलासँ
एतबा कहि ओशोक बहओलनि मुक्तकण्ठ कनला सँ॥

92.
चन्द्रापीड़ सुनल सब विवरण गुनलनि मन मे
तपी मुनिहुँ संग खेलथि मनसिज विपिन भुवनमे।
जे सब मायाजाल विषय सुखमे विलीन अछि
तनिक हयत गति कोन विषमशर विषधर-सन अछि॥