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कामरेड गैंडा से / विष्णुचन्द्र शर्मा

Kavita Kosh से
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कामरेड गैंडा से एलिस की बहस

रेड गैंडा! गैंडा कामरेड रेड आश्चर्य लोक के!
मैं आश्चर्यलोक से वापस लौट आई हूँ कामरेड!
नहीं बोलोगे कामरेड!
रात भर कामरेड दंग के साथ मास्को से वाशिंग्टन तक
दस्तावेजों पर सर फोड़ते रहे हो तुम आश्चर्यलोक में?
गुमसुम हो तुम या कसौटी बदल गई है
कामरेड क्रांति की?
अपने आश्चर्यलोक में दब गए हो
या वाकई खो गए हो कामरेड!
तुम साँस ले रहे हो आरामकुर्सी पर कामरेड!
सुनो कामरेड!
मैं बन जाऊँ फिर छोटी एलिस?
पढ़ती रहूँ आश्चर्यलोक का पहला पाठ:
क से कामरेड
... ... ...
म से मस्कोरेड...।
परेड में तुमने
इस बार भी बजाया था बाजा वही
दस साल पुराना
”हमारा जंग है बहाना...
तराना नाऽ नाऽ नाऽ नाऽ नाऽ“

बहुत समय बीता है
बसों की प्रतीक्षा में कामरेड
एक-एक चेहरे पर जमी है तहें मैल की!
ढोलक की थाप है सीने में कामरेड!
जोश है लाउडस्पीकर पर कामरेड!
पोस्टरों में चर्चा है नए ज़ार आए हैं।

पाँच साल बाद फिर दुलारी चुनाव घोड़ी
बाजार में निकली है कामरेड!

घोड़ी की पीठ पर सवार है अमरीका!
गरदन पर लटका है नया ज़ार रूस का!
चेहरा लगाया है घोड़ी ने बैल का!
अमरीका रूस की दोस्ती का अंतरिक्ष

कैसा है कामरेड!
पाँच साल बाद दुलारी चुनाव की घोड़ी की
दुम पर तस्वीर है गाँधी की!
कामरेड शिव की बारात में कौन रूप
लिया है इस बार!
कामरेड!
इतिहास में कौन सा दर्जा है अपने कामरेडों का?
घाटियों में झाँक कर चलना पड़ेगा अभी कामरेड!
ठहर कर घोड़ी से कहना पड़ेगा अभी कामरेड कब तक
चुनाव का जंजाल:

लाल सेठ जमाई लाल हरगंगे
रोज दौड़ता सरपट माल हरगंगे
काली नदी भरा परनाल हरगंगे
नारा उगले खाये माल हरगंगे

चुनाव के दर्रे से हर बार गुजरना पड़ेगा अभी कामरेड!
सभ्यता के एक दर्रे से चलता नहीं है काम कामरेड!
खोदना है थोड़ा और थोड़ा और...।
बादलों की तरह अभी झुककर
दर्रो से गुजरना पड़ेगा कब तक कामरेड!
ओझा से झाड़ फूँक कराना पड़ेगा क्या कामरेड दल का?

कामरेड भूत हो सत्ता का
पिशाच हो धन का
काल हो कामरेड अपने कंकाल का
कहो तो कामरेड अपने कंकाल का
कहो तो कामरेड साँप झाड़ने का मंत्र पढूँ रात दिन!
उतारूँ भूत बदरंग आपका
कामरेड दल में है बलाबल प्रेत का!
भूतों की पैठ है?
रणनीति चलते हैं पिशाच!
दलदल में फँसे हो कामरेड?
पछाड़ रही है कामरेड जंग में घोड़ी हमें
भूल गए अपने पहाड़ी तर्क-शास्त्र को
लोककथा लड़ाकों का है हथियार
भूल गए लोकयुद्ध
सुनाऊँ क्या कामरेड कैसे इंसान ने तोड़ा था पहाड़?
भूल से अपना दिल छोड़ आए हो क्या
वाशिंगअन में कामरेड!

अफ्रीकी जंगलों में
छोटे से कीड़े से छोटा रूप दिया था शैतान ने मुझे!
वहाँ मैं एक के जेब में जाती थी
दूसरे की आँख में बैठती थी
दिल की जगह खाली देख लोटपोट होती थी कामरेड आग में
तुमने क्या वहीं कहीं अपना ईमान खो दिया है?

मरभुखे कामरेडों ने अपना आयनामा छपवाया है
अखबारों में!
तुम्हारा नाम भूल गए हैं शैतान!
तस्करों के आसपास बैठे हैं तंग कामरेड!
संसद की अगली बेंच पर।
तुम्हें गम है क्या वाकई कामरेड!
गोदी मजदूरों ने दयिा है नारा नया
तुम्हारा नाम कामरेड नारा कभी रहा है
लिखा है सागर पर पोस्टर इंकलाब का।

कामरेड! कविता में
जानवर की आँखों से आदमी की आँखों की उपमा दी जाती है
रूस है नाम किस जानका की?
ताकत क्या रूबल है, डालर है, येन है दल की?
अपना देश चैन की बाँसुरी बजाने वाला पच्चाससाला
बीन है कामरेड?
आपका राग सहभोज में जोरदार रहा है कामरेड इस बार।
चुनाव में इस बार क्या हो तुम गुमनाम दर्शन या
बदनाम गम इंकालब का?
कामरेड!
यही क्या कम है तत्पर हो राजा के साथ सहभोज में?
कितनी बार कोल्हू के बैल भी रहे है बुत?
चूल्हे और भाड़ में ठंडापन बैठा है कामरेड
तुम्हारी खामोशी-सा।

कामरेड।
सरकारी महकमा जासूस-कुत्तों से एक काम लेता है
इंसानी गंध को सूँघता है जासूस-कुत्ता!
जासूस फौज:
फादार जासूस कामरेड को
हाँकती है जंग में!
कामरेड! एक के बाद दूसरे ग्रहों की तलाश
करते हुए तुम कहाँ पहुँचे हो?
कामरेड।
दर्रे से काफ़िला गुजरा है क्रांति का आगे अभी
कामरेड
पहाड़ों के भीतरी दर्रों से आदमी गुजरता है।
कामरेड!
खतरनाक मोड़ पर तुम्हारी रेड आर्मी का काफ़िला
भटका है कहाँ पर।
कम्यून से चल कर कामरेड!
सभ्यता के चौंधियाते चौराहे पर
खड़े हो प्रेत से
तुम अफसोस में?

सभ्यता के तिलिस्म में ठहरती नहीं है क्रांति
कामरे।ड!
महसूस किया है गोदी मजदूरों ने क्रांति को
महसूस किया है कमकरों ने क्रांति को
महसूस किया है चारु मजूमदार के सेनानियों ने खेत के मोर्च पर
कामरेड!

जासूस भेजे हैं तुमने क्या खेतों में अपने!
कामरेड!
एशिया का कौन देश शांति का शिकार है इस बार!
कामरेड!
शांति की बोदका का कैसा रंग जमा है इस बार
कामरेड!
चीले में एलेंडे का जासूस कुत्तों ने कबाब क्यों
बनाया था अमरीकी भोज में?
कामरेड!
रूस ने किसका गोश्त चखा था?
कामरेड!
वियतनाम कितने साल लड़ा है जंग में?
कामरेड!
कम्बोडिया में कौन जीता है?
कामरेड!
सफेद भेड़ियों से अफ्रीका के घने जंगलों में एक साथ
कितने मोर्चों पर लड़ रहे हैं हब्शी!
कामरेड!
आरामकुर्सी में क्रांति का खेला कितने साल चलेगा
तुम्हारा अभी!

सोते रहो कामरेड सात दिन! दिन रात!
देखते हो खूँखार आँखों से, देखो ज़रा गौर से!

अब मैं निष्कर्ष के तौर पर कहूँगी कामरेड!
कै साल: अहिंसा के छकड़े में लादा है दल को?
कै साल: पच्चास से सत्तर तक
हवा में कानूनी धाराएँ काटी हैं कामरेड?
कै साल: जासूस कुत्तों को सत्ता के अजायबघरों तक
पहुँचाया है कामरेड!
कै साल! कामरेड!
अमरीका से रूस, रूस से भारत पण्यवस्तु: अपने दल-बल से
पहुँचायी है?
कै साल कामरेड!

देश में क्रांति का खोमचा चलाया है
सेठों की मालदार बस्ती में
कै साल ट्रेड यूनियनों में धूओं की नकली इबारत
पढ़ाई है?
खूनी हस्ताक्षर मजदूरों का लिया है
कै साल कामरेड!
कै साल कामरेड!
समाजवादी सरकस में ज़ोकर का
खेला है खेल?

चौंक कर देखते रहो कामरेड!
एलिस लौट आई वापस आश्चर्यलोक से!
अब मैं निष्कर्ष के तौर पर पूछती हूँ
कामरेड!

सेठ ने दिया था धन जो अखबार के खाते में
कौन इतिहास लिखा है उसका इंकलाब में?
कामरेड!

रूसी विज्ञापनों से दूतावासों ने कौन क्रांति
लड़ी है?
कामरेड!

सेठ के मक्खन से ढला है इस्पात कौन?
कामरेड!

सत्ता की ढलान पर कौन अभी लुढ़का है?
कामरेड खुली रंगशाला में
कौन शेर बिका है!
कौन गीदड़ भड़का है संसद में कामश्रेड!
कौन चूहा लड़ा है खेत में कामरेड!
सज़ायाफ्ता कामरेडों में

कौन कहाँ बेचता है ईमान?
कौन कामरेड
अवकाश प्राप्त योद्धा है?
सत्ताशिविर का संचालक है
कौन कामरेड?
कामरेड सोते रहो! दिन रात!
खामोश रहो तलघ्ज्ञर में कामरेड!

कामरेड!
भागने का मौका देखते रहो जंग में?
बहुत जल्द-अल सुबह पूर्वी दिगंत में
उतरेगी कामरेड/
बुढ़ा गए हो कामरेड!
झपकी मार लो, गहरी जँभाई लो कामरेड।

दो हाथ मार लो खज़ाना जनवाद का।
कामरेड
एलिस अब सयानी है
दफ्तर, खेत पर, सरकारी कुत्तों पर
एक-एक पहाड़ी चोटी तैनात है
लड़ाकू कामरेड बढ़ाते हैं हाथ!
नीचे की ओर देखते हैं विजय की की विराट
संभावना से
कामरेड।
सोते रहो कब्र में सत्ता की
कामरेड एलिस सयानी है सोते रहो अपने आश्चर्यलोक में।

-तत्काल से