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कारवां सराय / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
ओह यह धरती की प्रजाति
ढोल बजाए गए , दरवाज़े बन्द थे
कारवाँ सराय में
एक मोमबत्ती, ब्रेड का एक टुकड़ा, सूप की एक डिश
और जई की एक बोरी घोड़े के लिए
दरख़्तों की परछांईयों वाले आँगन में
पूरे तीन दिन
फिर एक कारवाँ तीन हज़ार ऊँटों का...
दीवार पर एक कुल्हाड़ा, युद्ध वाला कुल्हाड़ा
फ़ायरप्लेस की वजह से शरीर गर्म हैं
और चन्द्रमा बढ़ रहा है मानो निश्चित कर रहा है
एक नया दिवसकाल ।