भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कारोबार / शैलेय
Kavita Kosh से
ये फूलों-फूलों भरी-भरी थालियाँ
ये च्यूड़े-आशीषों से भरी-भरी थालियाँ
ये प्यार-पुचकार से भरी-भरी थालियाँ
ये थालियाँ बच्चों का संसार हैं
फूल हैं, फूलों का कारोबार हैं
किंतु जो उदास मन बैठा है रसोई में
क्या दे बच्चों को सोचता हुआ
उठने की लाचार कोशिश कर रहा है
ये कौन है ?
बच्चो !
जमकर खड़ा होना ही बड़ा होना होता है
फूल से सुगंध हो जाना होता है
चलो, देखो तो वहाँ कौन काँटा गड़ा है
उसे खड़ा करें
फूलदेई-छम्मोदेई<ref>उत्तराखंड में फूलों का एक विशेष पर्व</ref> हासिल करें
शब्दार्थ
<references/>