भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काली नायिका / माया मृग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


...और अब
जबकि मैंने अपनी नायिका के
होठों पर रंगी लिपस्टिक-पोंछ दी है,
उसके काले होंठ
सुन्दर ना सही-पर सच्चे तो हैं।
उसके मेंहदी रंगे हाथों से
कहीं अच्छे हैं,
उसके खुरदरे, कटे-फटे, कुरूप हाथ
जिनमें साफ देखता हूँ मैं
सुन्दरता के मापदण्डों को
बदल डालने के मजबूत संकल्प !
मैं- जबकि कलम पकड़े
निठल्ला हो बैठा हूँ
मेरी नायिका-कस्सी-फावड़ा थामे
मुझे सीखा रही है
कविता की रचना नहीं
कविता उपजाना
और लिख जाना,
सुनहरी अक्षरों को नहीं
सुनहरी दानों का इतिहास।