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काले री बालम / खड़ी बोली
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					   ♦   रचनाकार: अज्ञात
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काला पति 
काले री बालम मेरे काले, 
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ गए दिल्ली ससुर बम्बई, 
काला गया री कलकता नगरिया , 
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए लड्डू ,ससुर लाए बर्फ़ी, 
काला लाया री काली गाजर का हलुआ, 
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए साड़ी , ससुर लाए अँगिया , 
काला लाया री ,काली साटन का लहँगा , 
काले री बालम मेरे काले ।
जेठ लाए गुड्डा ,ससुर लाए गुड़िया
काला लाया री ,काली कुत्ती का पिल्ला , 
काले री बालम मेरे काले ।
	
	