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काल्हियो बचि सकितहुँ / मन्त्रेश्वर झा

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की भेलै यदि अहाँक पड़ोसीक
घर मे भऽ गेलै डकैती
कि भऽ गेलै खून।
हत्याक राजनीति मे
आन्हर कानून।
अहाँ तऽ बचलहुँ
रहि गेलहुँ सुरक्षित
बचल रहि गेलहुँ।
की भेलै यदि बूथ पर जेबासँ पहिनहि
क्यो खसा देलक
अहाँक भोट
कऽ लेलक बूथ पर कब्जा
धुत् भोट तऽ क्यो ने क्यो
खसबिते छैक
खसेबे केलकैक
अहाँ जऽ नहि खसैलहुँ अपन भोट
तऽ की भेलै।
क्यो जीतओ, क्यो हारओ
क्यो कतहु सोना गाड़ओ,
अहाँ तऽ रहब ओहिना
जहिना तहिना।
की भेलै यदि भरल बाजार मे
अहाँक सामने क्यो
ककरो मारि देलकै गोली
कऽ देलकै ककरो रेप
खेपक खेप
आ कि बीच रास्ता पर
लथपथ पड़ल छै ककरो शरीर
अहाँ अपन मूड़ी गाड़ि के
कन्नी काटिके भागब
अपन काज देखब
अपन रास्ता नापब
कि अनेरे पड़ब फेर मे
की भेलै यदि सौंसे गाम मे
भऽ गेलैक हैजा-मलेरिया
सकाले मे भऽ गेलै साँझ
कि जंगल साफ भऽ गेलै
न्यायालय मे सभटा अन्याय
माफ भऽ गेलै
बेचारी हरिन के क्यो तोड़ देलकैक टांग
नहि रहलहि समांग
किछुओ भेलै तऽ की भेलै
अहाँ तऽ प्रियवादी छी
गुटबन्दी मे तटस्थ छी
अहिंसक छी
अपने दालि रोटीक जोगाड़ मे
व्यस्त छी
काश, अहूँक आँखि जे कनियो
रहितय खुजल
अहूँक हाथ जऽ हटल रहितय
केवल अपने माथ पर सँ,
तऽ काल्हियो बचि सकितहुँ
परसुओ देखि सकितहुँ अहूँ।