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काळ बरस रौ बारामासौ (काती) / रेंवतदान चारण
Kavita Kosh से
मीठा मतीरा होवता नै मीठा काचर बोर
कीकर ई दिन काढता हिवड़ौ लेत हिलोर
कांई लेवां कातीसरौ निपज्यौ नहीं कोई धांन
काळ पड्यां रहसी कियां मिनखपणा रो मांन
काती महीणौ काळ रौ तीसूं ई दिन तिरकाळ
तौइ दिवाळी रात में दिवटां री दिपमाळ
सीयाळै भूखा पसु तन में रह्यौ न गाढ
डिगता हालै डांगरा हाय निकळग्या हाड