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काळ बरस रौ बारामासौ (फागण) / रेंवतदान चारण
Kavita Kosh से
लूरां फागण लेवणी कांमण करती कोड
कांण काळ राखी नहीं आई फागज ओढ
रम्मत मंडावै रावळा काळ गिणै नहीं कोय
सांग लावै केई सांतरा हरख घणै रौ होय
नर नाचै संग चंग रै लेवै लुगायां लूर
मिनख कुमांणस काळ नै राखै कोसां दूर
फागण में फगडा करै काळ बडौ विकराळ
मरजादा छोडै मिनख तिन तिन कूदै ताळ