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काशिद बीच / कविता कानन / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
दूर तक
सुरमयी
पर्वत श्रृंखलाएँ
और सामने
हरहराती
सागर की लहरें
अद्भुत नज़ारा
बीच बीच में
इधर से उधर
आते जाते
सवारियाँ ढूंढ़ते
घोड़ों के साथ
उनके मालिक ।
एक ओर
सवारियाँ तलाशती
घोड़ा गाड़ियाँ
दूसरी ओर
रँग बिरंगे वस्त्रों में
सजे सँवरे ऊँट ।
कहीं वाटर स्कूटर
तो कहीं
सजी हुई
वृहद नौकाएँ
सभी को तलाश है
रोज़ी की ।