भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किच-किच कचर-कचर से भागा / अशोक अंजुम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किच-किच कचर-कचर से भागा
घर का मालिक घर से भागा

मुंडा हुआ सर लेकर सरपट
मजनूं प्रेमनगर से भागा

पहलवान था 'उसका' भाई
भूत इश्क़ का सर से भागा

बीवी भी थी दफ्न बगल में
मुर्दा निकल क़बर से भागा

हर दरवाज़े पर ताला था
नटवरलाल किधर से भागा?

चोर-उचक्के थे कुछ ऐसे
थानेदार शहर से भागा

आलस-वालस छोड़-छाड़ वो
साहब की ठोकर से भागा

चौराहे पर जिन्न मिल गया
जो डायन के डर से भागा

उधर-उधर ही जाल बिछे थे
'अंजुम' जिधर-जिधर से भागा