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किण नै पूछां ? / कुंदन माली
Kavita Kosh से
काया
भाव-वोपार री दुकान
बुद्धी
बहसां रौ मकान
मिनखांजूण
झूंठ रौ बखाण
जगती
कपट री ओल़खाण
बची किसी ठौड़
जठै रैय सकै भगवान ?