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कितने अनुरोध / आन्ना अख़्मातवा
Kavita Kosh से
कितने अनुरोध होते हैं प्रेमिका के पास हमेशा
विरक्त के तो कोई अनुरोध होते नहीं
कितनी खुश हूँ यह देखकर
कि रंगहीन बर्फ के नीचे जम रहा है जल।
मैं पैर रखूँगी इस सफेद पतली चादर पर
ओ ईशु, मेरी कुछ मदद कर !
सँभाल कर रखी जाएँ सारी चिट्ठियाँ
कि अपना निर्णय दे सकें संतानें।
और अधिक स्पष्ट और अधिक रोशन
तुम दीख सको उन्हें - साहसी और प्रबुद्ध
क्या तुम्हारी महान जीवनी में
रखी जा सकती हैं कहीं खाली जगहें ?
बहुत मीठी है यह इहलौकिक सुरा
बहुत मजबूत हैं ये प्रेमजाल।
कभी तो पढ़ेंगे बच्चे
अपनी पाठ्य-पुस्तकों में मेरा नाम,
और करुणाजनक कहानी पढ़ने पर वे
मुस्करा देंगे तनिक चालाकी के साथ।
बिना चैन, बिना प्रेम
मुझे दे अजब एक कड़वी-सी ख्याति।