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किरकली रोटी / बबली गुज्जर
Kavita Kosh से
मेरी दोस्त, शायद तुम्हें अजीब लगे,
पर जब तुम अपने बाबा के सीने लगकर
उनका हाथ थामे, उन्हें बाहों में कसकर
दिखा देती हो हमें कोई सुंदर तस्वीर
हम पिता को खो चुकी बच्चियाँ
उस भूखे बालक- सी रह जाती हैं तरसती
जिसे भिक्षा में मिली इकलौती रोटी
ज़मीन पर गिरकर हो गई है किरकली