किले पर ड्यूटी / रुडयार्ड किपलिंग / तरुण त्रिपाठी
ख़ैबर<ref>पाकिस्तान से अफगानिस्तान ले जाने वाला प्रसिद्ध दर्रा, भारत पर चढ़ाई करने का पारंपरिक मार्ग;</ref> में हंगामा हो रहा है
कलह हो रही है अली-ख़ेल में
कि ख़ैबर के मालिक
लड़ रहे हैं पूरे जोश में
अंग्रेजों से चुरा कर लाये कार्बाइन
और कोहाट की लंबी बंदूक के साथ
और मैं आँखें फेरता हूँ इन किले की दीवारों पर
उत्तर की तरफ और बर्फ़ पर
सुदूर चेरत की छावनी की तरफ;
पर ओह! नहीं जा सकता मैं
इन धूसर नीरस दीवारों को छोड़कर
जहाँ तोपे खड़ी हैं मुस्काती हुई पंक्तिबद्ध
युद्ध हो रहा है ख़ैबर में
पर इसका कोई मतलब नहीं मेरे लिए
कि जो भेजा गया हूँ किले पर ड्यूटी करने
इस घातक रावी के किनारे
केवल एक अन्य छोटे अफ़सर के साथ
नहीं दिखता जहाँ और कोई भी.
ओह! ये नित्य बंदूक का प्रशिक्षण चल रहा है
और ये आठ बजे वाली परेड
ये तोपों की साफ़-सफ़ाई हो रही है
(और वैसे ही कैरोनेडों की)
जबकि रास्ते ठनकते हैं राइफ़लों से
और शोर से अफ़गानी धावों के
और मैं आँखें फेरता हूँ इन किले की दीवारों पर
इस चौड़ी और साँवली नदी पर
और मैं सोचता हूँ प्रसन्न इंग्लैंड को
जहाँ खेलते हैं उल्लसित अश्वारोही रक्षक
ओह! किसी वरिष्ठ अफ़सर को दे दो यह
और बख़्स दो इस युवा आर.ए.<ref>रॉयल आर्टिलरी, यह ब्रिटिश आर्मी में तोपची सैनिकों की एक शाखा थी </ref> को.