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किस ओर मैं? किस ओर मैं? / हरिवंशराय बच्चन
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ओर मैं? किस ओर मैं?
है एक ओर असित निशा,
है एक ओर अरुण दिशा,
पर आज स्वप्नों में फँसा, यह भी नहीं मैं जानता-
ओर मैं? किस ओर मैं?
है एक ओर अगम्य जल,
है एक ओर सुरम्य थल,
पर आज लहरों से ग्रसा, यह भी नहीं मैं जानता-
ओर मैं? किस ओर मैं?
है हार एक तरफ पड़ी,
है जीत एक तरफ खड़ी,
संघर्ष-जीवन में धँसा, यह भी नहीं मैं जानता-
ओर मैं? किस ओर मैं?