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किस सुर में मैं गाऊँ? / गुलाब खंडेलवाल

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किस सुर में मैं गाऊँ?
भाँति-भाँति के राग छिड़े हैं, किससे तान मिलाऊँ?
 
गाऊँ मिल मोरों के गुट में
चिड़ियों की टी, वी, टुट, टुट में?
या गाते सरसिज सम्पुट में
मधुकर-सा सो जाऊँ!
 
मान यहाँ हर ध्वनि का होता
किसके बस न हुए हैं श्रोता!
यदि मैं गहरे में लूँ गोता
मोती कहाँ न पाऊँ!
 
पर जो छवि बैठी इस मन में
नव-नव धुन रचती क्षण-क्षण में
क्यों न उसीका  करूँ वरण मैं
जग से दृष्टि फिराऊँ

किस सुर में मैं गाऊँ?
भाँति-भाँति के राग छिड़े हैं, किससे तान मिलाऊँ?