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कीं नैनी कवितावां / अशोक जोशी 'क्रांत'
Kavita Kosh से
पुताई
भांत-भांत री
पुताई सूं ई
झांकै है
बंट्योड़ौ घर।
पलेतण
घोषणा-पत्र
मतां री रोटियां
बेलण रौ
पलेतण ।
परजा-1
नाजोगी
गाढ़बायरी
शिखंडी
जिकी
वयस्क मताधिकार री
ओट सूं
कोरा
तीर चलावै
अड़वा माथै ।
परजा-2
एड्स री
मांदगी सूं
मांदी
जिण में
निठग्यौ
प्रतिरोधक
सगती रौ हकार ।
आखर
बळबळता
आंसू
गाल रै
कागद माथै ।
कविता
अमूझतै
आखरां रौ
भूं-भूं
रोवणौ ।
वै
वै कीं दिन
फेरी फिरै
पछै तौ सालौसाल
एक खूंटै बंधियोड़ा
कोरी हरी चरै ।