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कुछ और / मनमोहन
Kavita Kosh से
भाइयो
बात थी कुछ और
जैसी कही गई
या समझी गई
वैसी न थी
या जैसी कि बन गई
जहां तक कुछ और की बात है
तो उसके बारे में कुछ और भी कहा जा सकता है
जैसे हम करते रहे कुछ-कुछ
बहुत कुछ करते रहे जबकि
हमें करना था कुछ और
और जैसे हम कहते रहे
हमें कुछ और वक्त चाहिए
जबकि सच तो ये है कि हमें चाहिए था
वक्त ही कुछ और ।