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कुछ तो है / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
नीले आसमान के नीचे
एकबार प्यार का मौक़ा मिला था
उसका कमसिन जिस्म
मेरे ऊपर झुका हुआ था
उसे मेरा चेहरा दिख रहा था
मुझे आसमान
बात कुछ पुरानी हो चली है
मुझे याद नहीं है
उसका अहसास
सिर्फ़ रह गई है
उसकी मिठास