भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कुछ नहीं भी / राग तेलंग

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो दिखा
वो देखा
जैसा जो दिखा, वैसा देखा

जो नहीं दिखता था
वह था
वह भी क्या देखा ?
जैसा जो ’’नहीं दिखता था’’, वैसा देखा ?

जो दिखता है, वो दिखता है
जो ’’नहीं दिखता है’’, अब क्या दिखता है ?

नहीं देखने पर
कुछ नहीं दिखता
यह ’कुछ नहीं’
देखने पर दिखता है
हॉं !! दिखता है।