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कुछ लोग / जया जादवानी
Kavita Kosh से
बहुत सट कर बैठो फिर भी
उठकर चले ही जाते हैं कुछ लोग
मंज़िल आने से पहले
यूँ अभी भी कसके पकड़ा हुआ है हाथ
यूँ अभी भी जगहें
दिखती हैं भरी हुईं।