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कृष्ण प्रियतमा राधा रानी / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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कृष्ण-प्रियतमा राधा रानी हों लीला-सुखसे सपन्न।
होता इससे ही उनके मन अतुलानन्द अमित उत्पन्न॥
नहीं चाहती लीला-सुख वे सखि-मजरी कृष्णके संग।
इसी त्यागमय परमभाव से पूर्ण नित्य उनके सब अंग॥
कृष्ण-प्रेम-लतिका हैं राधा, सखि सब उसके पल्लव-फूल।
लीलामृतसे लता सींचते जब हो कृष्ण परम अनुकूल॥
राधा-लता प्राप्त करती तब जो आनन्द स्वयं स्वच्छन्द।
पातीं पत्र-पुष्प मंजरियाँ उससे कोटिगुना आनन्द॥