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के छेलै बैठां हमें केकरा पुकारी एतियै / अमरेन्द्र

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के छेलै बैठां हमें केकरा पुकारी एतियै
मिलतियै कोय्यो तेॅ है दिल केॅ ही हारी एतियै
आयकोॅ रात कना साथ गुजारी एतियै
मौत की नींद छेलै जेकराकि टारी एतियै
चौकड़ी भरतै हिरन आरो खुला जंगल में
बाघ नहियो जों अगर एतियै शिकारी एतियै
बोरी देतियै ई कही-लोग किनारा में डुबै
तैरी तैरी जो केन्हौं हम्में किनारी एतियै
जिन्दगी कत्तेॅ बिखरलोॅ उजड़लोॅ लागै छै
मौत के आबै सें पैहलें ई सम्हारी एतियै
देवता दम तोड़ी चुकलोॅ छै मनीरोॅ में मतुर
बैठलोॅ भक्त छै आशा में पुजारी एतियै
सबकेॅ मालूम तबेॅ होतियै की गजल होय छै
एकको बेरिया अगर अमरेन्द्र के पारी एतियै

-30.9.91