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के बूझोगे बात रात की / करतार सिंह कैत

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के बूझोगे बात रात की हाल सुणा द्यूं सारा रै सारा...
भीम मिशन के म्हारे गांव मैं रात आये थे प्रचारी
थ्याई के म्हं गावण लागे कट्ठे होगे थे नर-नारी
जय भारत जय भीम बोल कै बात मिशन की कर दी सारी
सबसे पहले समझाया इस देश में अपणा राज था
खुश रहै थी प्रजा सारी बढ़िया काम-काज था
अशोक से सम्राट राजा जिनके सिर पै ताज था
वो गावैं मेरे समझ मैं आवै मतलब न्यारा-न्यारा
हाल सुणा द्यूं...

दूसरे नं. जिक्रा आया उस झलकारी स्याणी का
सही सही आलेख सुणाया उसकी अमर कहानी का
गई जान पै खेल कती ना भय मान्या जिंदगानी का
कोल्हापुर के राजा साहु महाराज का किया बखान
कितने राजा अपणे हो लिए समझाए तै पार्टी जान
खटक मिशन की लाग गई मनै ना पानी का आया ध्यान
सुण-सुण कै नै गीत मिशन के लुट्या खूब नजारा
हाल सुणा द्यूं...

तीसरे नं. कहणे लागे इसमैं ना सै झूठ रत्ती
महाघोर संग्राम छेड़कै रियासत ले ली पूरी छत्ती
दुनिया म्हं सरनाम हुए शिवाजी थे छत्रपति
जब राजतिलक का मौका आया तिलक करणिये हुए लाचार
किस तरियां तै तिलक करांगे मन मैं लगे करण विचार
पैर के अंगूठे गैल रस्म तिलक की भरी साकार
सुणी इसी बात मेरा फुल्या गात फेर कोन्या चाल्या चारा
हाल सुणा द्यूं...

चौथे नं. कहण लगे इसे पते की सुणियो बात
घणे दिनां तै पिटते आवैं के थारा दुख्या कोन्या गात
जाति तोड़ समाज जोड़ भीम मिशन के लागो साथ
एक बैंजू दो घड़वे बाजै टापो का नजारा देख्या
चारों कली खत्म करकै टेक का इशारा देख्या
महफिल के म्हं गीत मिशन के गावणियां करतारा देख्या
करै मिशन की बात साथ मैं भाइयों को समझाया
हाल सुणा द्यूं...