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केकरा कहियै / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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केकरा कहियै दिलऽ रोॅ बतिया तोरा छोड़ी केॅ?
तोरोॅ भरपाई केॅ करतै? तोरी छोड़ी केॅ?

सौं से दुनियाँ भागदौड़ में, मिलतै कहाँ रूपैइया?
कौनें पूछतै कुशल छेम अब, बोलऽ दौड़ी केॅ?

पतनी बिना वृथा जीवन छै? एकरा पक्की मानोॅ
नजर गड़ै थौं हथियाबै लेॅ, आनभौ लोढ़ी केॅ।

आगाँ कुआँ, पाछाँ खाई, तैपर घुप अनहार।
की करभौ अब तोहीं बोलऽ माथोॅ फोड़ी केॅ?