भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
केते बदमाश गुंडे / शिवदीन राम जोशी
Kavita Kosh से
केते बदमाश गुंडे लंगोटी लगाय घूमे,
मदवा ज्यूँ झूमे कूर पेट भरे आपका |
स्वांग बना साधू का बादू बट मार केते,
सेते हैं भूत-प्रेत लज़ा नाम बाप का |
कर्म के कंगाल लोग साधना न जाने जोग,
ईधर के न उधर के है भांडा प्रलाप का |
कहता शिवदीन सत्य ऐसे का यकीन कहाँ,
बात-बात बातमें दिखावे डर श्राप का |