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केन्हों चमचम सजैली होली चाँदनी / अमरेन्द्र

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केन्हों चमचम सजैली होली चाँदनी
जों अखनियें बिहैली होली चाँदनी
भोर भेथैं मलिन केन्हों टग्घै झुकै
रात भर जों नचैली होली चाँदनी
चाँद पूरा जे ऐलै तेॅ गदगद बनी
जूही चम्पा चमेली होली चाँदनी
बरकी बरकी गेलै भोर होतै होतें
मक्खनोॅ सें मखैली होली चाँदनी
चाँद में देखी गहनोॅ केॅ दुख सें भरी
धूल फाँकै छै मैली होली चाँदनी
कूटी-कूटी मणि मोती केॅ-पारा में,
तन में चलली रमैली होली चाँदनी
कैन्हें भोरैं ढकी मूँ सुती गेली छै
रात भर के अघैली होली चाँदनी
कैक दिन नै सुतेॅ पारलौं घोॅर में
शोर ऐती मचैली होली चाँदनी
फेनू अमरेन्द्र बैठलै गजल लीखै लेॅ
फूल हीलै जुबैली होली चाँदनी

-6.10.91