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कैमरामैन देखो / हरीशचन्द्र पाण्डे
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हवा चल रही है
पत्ते हिल रहे हैं
जिन पेड़ों पर पत्ते नहीं
उनमें बैठे कबूतर हिल रहे हैं
सूखी साड़ी की तरह हिल रही है
झील की ऊपरी सतह
बच्चों की नावें हिल रही हैं
कैमरामैन! देखो-देखो
एक ही फल पर दृष्टि गड़ाये
दो पक्षियों के सम्बन्ध हिल रहे हैं...