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कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    कैसे चीर बड़ायो प्रभू ने,
    सभी देख बिसमायो

(१) कौरव पांडव मिल आपस में,
    जुवा को खेल रचायो
    डाल कपट का पासा सकुनी न
    पांडव राज हरायो...
    प्रभू ने...

(२) द्रुपद सुता को बीच सभा में,
    नगन करण को लायो
    पकड़ केश वो खईचण लाग्यो
    तुम बिन किनको सहारो...
    प्रभू ने...

(३) दुःशासन ने पकड़ केश से,
    चीर बदन से हटायो
    खैचत-खैचत अन्त नी आयो
    अम्बर ढेर लगायो...
    प्रभू ने...

(४) भीष्म द्रोण दुर्योधन राजा,
    मन मे सब सरमाये
    पालन करता हरी की शरण में
    तिनको कौन दुखाये...
    प्रभू ने...