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कोई छल हुआ है / सत्यप्रकाश बेकरार
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देश की पावन धरा से
धूल मिट्टी में उठाकर
जोर से भींचो!!
जोर से भींचो कि अनुभव कर सको उस खून को
जो इस धरा में मिल गया था
और आजादी का पौधा
किस तरह सिंचित हुआ था।
पेड़ आजादी का देखो किस तरह विकसित हुआ है
ऐसा लगता है कि कोई छल हुआ है
एक ही डाली में सारे फल लगे हैं
क्या यही बोया था हमने जो उगा है!
क्या शहीदों के लहू में
कुछ मिलावट थी?
या कि माटी वट ही गलत है?
मुट्ठियां ऊपर उठा लो,
इन सवालों का जरा उत्तर निकालो।