भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई मगरूर है भरपूर ताकत से / कमलेश भट्ट 'कमल'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई मगरूर है भरपूर ताकत से
कोई मजबूर है अपनी शराफत से

घटाओं ने परों को कर दिया गीला
बहुत डर कर परिंदों के बग़ावत से

मिलेगा न्याय दादा के मुकद्दमे का
ये है उम्मीद पोते को अदालत से

मुवक्किल हो गए बेघर लड़ाई में
वकीलों ने बनाए घर वकालत से

किसी ने प्यार से क्या क्या नहीं पाया
किसी ने क्या नहीं खोया अदावत से