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कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन / शैलेन्द्र
Kavita Kosh से
कोई लौटा दे मेरे, बीते हुए दिन
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल छिन
कोई लौटा दे ...
मैं अकेला तो ना था, थे मेरे साथी कई
एक आँधी-सी उठी, जो भी था लेके गई
आज मैं ढूँढूँ कहाँ, खो गए जाने किधर
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल-छिन
कोई लौटा दे ...
मेरे ख़्वाबों के नगर, मेरे सपनों के शहर
पी लिया जिनके लिए, मैंने जीवन का ज़हर
ऐसे भी दिन थे कभी, मेरी दुनिया थी मेरी
बीते हुए दिन वो हाय, प्यारे पल-छिन
कोई लौटा दे ...