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कोठे ऊप्पर कोठड़ी / खड़ी बोली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बहू की शर्त व ताकत
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैं उस पर रेल चला दूँगी।
जो सासू मेरी प्यार करै, मैं तेरे पाँव दबा दूँगी
जो सासू मेरी लड़ै लड़ाई , रोट्टी से तरसा दूँगी॥
कोठे ऊपर कोठड़ी…
जो जिठाणी प्यार करै, तेरा सारा काम करा दूँगी ।
जो जिठाणी लड़ै लड़ाई , दो चूल्हे करवा दूँगी ।
कोठे ऊपर कोठड़ी…
जो देवर मेरा प्यार करै,एम ए पास करा दूँगी।
जो देवर मेरा लड़ै लड़ाई,मूँगफली बिकवा दूँगी।
कोठे ऊपर कोठड़ी…
जो नणदल मेरी प्यार करै ,तेरा ब्याह करा दूँगी
जो नणदल मेरी लड़ै लड़ाई, मैके को तरसा दूँगी ।
कोठे ऊपर कोठड़ी…