भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोहरे में पहलगाम / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
छायाओं का कोई संबंध
पेड़ों की
उम्र से भी रहता होगा
कैसा लगता है
जब पेड़ अपनी ही
उम्र की छायाओं में ,झीनी चादर में लिपटे
अलसाये उंघते हैं
कश्मीर (पहलगाम)