भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कौने बाबा जयता आनन्द वन, ओ जे लयता सोना के चरखा हे / मैथिली लोकगीत
Kavita Kosh से
मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कौने बाबा जयता आनन्द वन, ओ जे लयता सोना के चरखा हे
कोन-कोन दाइ कटती मेही सूत, कोने बाबू होयता ब्राह्मण हे
अपनबाबा जयता आनन्द वन, ओ जे लयता चरखा हे
अपन दाइ मे ही सूत काटती, ओ जे फल्लां बरुआ होयता ब्राह्मण हे