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कौशल्या / तेरहवोॅ खण्ड / विद्या रानी

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जखनी लक्ष्मण के शक्ति वाण लगलै,
हनुमंत संजीवनी लेॅ गेलै ।
पर्वत समेत संजीवनी लै चललै,
हनुमान आकाश मार्ग सें गेलै ।

देखलकोॅ भरत बड़ा भयंकर,
पहाड़ ले केॅ जाय छै बन्दर ।
बिनु फल तीर मारि ओकरा गिरैलकोॅ,
राम राम सुनि विह्नल होय गेलोॅ ।

रामोॅ सें प्रार्थना करलकोॅ,
इ वानर होश मं आवि जाय ।
राम राम कही हनुमान उठलोॅ,
सबटा खिस्सा देलकै बताय ।

कौशल्या नें जबेॅ सुनलकै,
सब खिस्सा आरू हनुमान के बात ।
भरत केरोॅ कुटिया मं मिले अइलै,
कहोॅ कैन्हों छै लछमन भ्रात ।

कर जोड़ी बोललकोॅ हनुमान,
हुनका लगलोॅ छै शक्ति वाण ।
संजीवनी लै केॅ जाय छी,
ठीक होय जाय इ सौचै छी ।

धकोॅ सें रहलोॅ कौशल्या केरोॅ मन,
फिनु संभारि के बोललकी वचन ।
जाय राम केॅ कहियो हनुमान,
बचाय लेतै लछमन केरोॅ परान ।

जौं ओकरा बचावेॅ नै पारलै,
राम के कहियो वहीं रही जइतै ।
लछमन बिना राम नै अइतै,
भाय बिना केना सुख पइतै ।

कहलकी सुमित्रा इ की कहै छौ,
एक तेॅ ओकरा कुछु होवे नै करतै ।
जों कुछु होय गेलै तेॅ,
राम केन्हें नै इहाँ अइतै ।

लछमन अइलै राम के काम,
राम में ही लछमन के देखवै ।
ओकरा नय आवे लेॅ कही केॅ,
तोहें हमरा दुखी करनै छौं ।

इ रंग दुनु माता से मिली,
हनुमान ने परनाम करलकै ।
लै संजीवनी चली देलकै,
लछमन केरोॅ परान बचैलकै ।

भवन में आवि दुनु माता,
रहि-रहि सुमिरै विधि विधाता ।
वनगमन केरोॅ दुख कम होलै,
जान बचावे लेॅ प्रार्थना करलकै ।

वनोॅ में गेलै तेॅ गेवे करलकै,
इ जानोॅ के आफत की अइलै ।
यही लेॅ सीता केॅ नै जाय दै छेलियै,
नै ऊ जैतिये नै राक्षस अइतियै ।

चित्रा के वानर देखि डेराय छेलै,
साक्षात् राक्षसों सें केना नै डरलै ।
वनोॅ के दुख तेॅसहने छेलै,
लंकापति कन केना रहलै ।

हे भगवान सीता के बचावोॅ,
राक्षस रावण के राज में ।
कोमल जीव केना होतै,
ओकरा सिनी मारी नै देतै ।

बेटी नै छेलै ओकरे धिया मानलियै,
राम सिया में भेद नै करलियै ।
कोमल अंग सुकुमारी सिया,
राम बिना तड़पते होतै ।

दुखोॅ में दुख छै की करिये हम्में,
केना राम केॅ धीरज धरैयै ।
है कैन्हों खबर छै भगवान,
लछमन के लगलोॅ छै शक्ति वाण ।

तीनों जे साथोॅ में गेलै,
तीन ठियाँ होइये गेलै ।
सीता लंका में राम रण में छै,
लछमन तेॅ बेहोशे होय गेलै ।

रहि रहि सुमित्रा कौशल्या समझावै,
फिनु कौशल्या ओकरा धीर बंधावे ।
लछमन के कुछु नै होतै सुमित्रा,
हिरदय धीरज सें राखोॅ सुमित्रा ।

जेना शांत नदी में,
चट्टान हवाँक हवाँक गिरै छै ।
वैन्हें राजभवन के जीवन में,
शक्ति वाण केरो बात अइलोॅ छै ।

वनवासों के दुख विसरलोॅ छेलै,
लौटे के दिन नगीच अयलोॅ छेलै ।
लछमन के मूच्र्छा के बात सुनी,
राजभवन तेॅ खलबल करै छेलै ।

भरत हुन्डें वैन्हें कानै छेलै,
राम तेॅ हमरा कुछु नै मानै छै ।
लछमन अइलोॅ रामोॅ के काम,
हमरा सं नै लेलकै कुछु काम।

समय नगीच जानी माता,
फिनु शुभ शुभ मनावेॅ लगली।
रामलखन सीता जल्दी आवेॅ,
ईश महेश मनावेॅ लगली।

समय समीप जानी कौशल्या,
बैठी बैठी कागा उचारै।
सकुशल लौटे सभै संतान,
रानी मनावै छेलै भगवान।

सच्चे सच बता रे कागा।
कबेॅ अइतै राम सीता सुभागा ।
तीनों के हम्में हृदय लगैइवै,
देखि हुनका केॅ सुख पैइवै ।

देवौ तोरा दूध भात के दोना,
चों चों में मढ़ाय देवौ सोना ।
डरै छेलै मनेमन कौशल्या,
अभियो कुछु अनहोनी होय ना ।

जरलोॅ जी छेलै डेराय,
दूध के जरलोॅ मट्ठा फुकि खाय ।
अइतै राम फिनु राजा बनतै,
फिनु कुछु जोग नै होय जाय ।

आपनोॅ दुख केॅ दूर करै लेॅ,
ज्योतिषी केॅ कौशल्या बुलैलकै ।
चरण वन्दना करि पूछलकै,
शुभ अशुभ की होतै जानलकै ।

कौशल्या लाल चील मनावै,
सुन्दर वाणी संें तोहें बतावै ।
कुशल क्षेम घड़ी कब्बे अइतै,
हमरा सिनी कबेॅ सुख पैइवोॅ ।

तोहें चन्द्रमुखी सुन्दर सुनयना छौ,
कुमकुम वर्णी क्षेम करी छौ ।
वेद कहने छौं तोरा शुभ शकुनी,
दर्शन के फल हमरा सिनी केॅ दौ ।

कौशल्या समेत सभै रानी मिलेॅ,
शुभ शकुन मनावे छेलै ।
लाल चील मँडरावेॅ लगलै,
सगुन जानि सुख पावै छेलै ।

सबकेॅ लगलै अबेॅ शुभ होतै,
रामलखन सीता सभै अइतै ।
सभै मिली केॅ शगुन उचारै,
इष्ट देव सें मंगल मनावै ।

एतने में समाचार अइलै,
राम समाचार हनुमान सुनैलकै ।
सब मंगल छै राम कल अइतै,
विजय खबर सुनि सभै सुख पइलकै ।

तुरन्ते अयोध्या में सभै जानलकै,
राम नें केना पुल बाँधलकै ।
बालि विराध खरदूषण रावण,
सभै के तेॅ मारी गिरैलकै ।

लछमन तेॅ हद्दे करलकै,
शूपैनखा केरोॅ नाके काटि लेलकै ।
चिरजीवौ रामलखन दुनु भाय,
रन वन जीति अयोध्या आय ।

सुग्रीव विभीषण केॅ राजा बनैलकै,
वनवासो में सभै काम करलकै,
वीरभाव भरलो गेलो शोक ।
सुनि विह्नल छेलै सब लोग ।

आजे अइतै राम के विमान,
सुनि सुख पैलकै सभै के मोॅन ।
कौशल्या भगवान भगवान कहलकी,
राम आगमन पर ध्यान लगैलकी ।

अयोध्या नगरी फिनु सजैलकै,
सब ठियाँ मंगल कलश धरलकै ।
मंगल वाद्य बजावै नर नारी,
शुभ शुभ राम राम उचारी ।

जबेॅ अइलै राम के विमान,
हरषित होलै सभै के परान ।
जाय के उहाँ घेरि लेलकै,
राम सें मिली सभै सुख पैलकै ।

विमान सें उतरि केॅ श्री राम,
गुरु वशिष्ठ सब केॅ करलकोॅ परनाम ।
जथा जोग सभै सें मिली जुली,
राम पहुँची गेलै भवन में ।

सभै माता के परनाम करलकोॅ,
गल्ला मिली केॅ सुख पैलकोॅ ।
महलोॅ में आनन्द भरी गेलै,
कौशल्या पयस्वति बनी गेलै ।

तिल तिल करि केॅ दिन बितलयै,
आज यही शुभ दिन अइलै ।
की कहियौं केना करि हे राम,
चैदह बरसो के दिन काटलियै ।

एतने दिनोॅ के विरहोॅ के पीड़ा,
एक्के दिन में हरिये ले लोॅ ।
रामलखन सीता देखी केॅ,
हिरदय में हरसित होलोॅ ।

मन गदगद होलोॅ जाय,
बिछुड़लोॅ गाय जेना बछड़ा पाय ।
हहरते हिय हाहाकार मिटलै,
जरलोॅ जी शान्ति पैलकै ।

सुमित्रा कहलकी हे मोरी दीदी,
हम्में तोरा कहवे करै छेलिहौं ।
धीरज सं तोहें रहोॅ अखनी,
जे हरले छै वही सुख देतै ।

गेलोॅ राज तोरोॅ लौटी अइलौं,
दुनु पुत्रा संग पुत्र वधू अइलौं ।
अइलौं एतना वानर सेना,
पुत्रा विजय सें सभै यश पैयलौं ।