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क्या कहे सुलेखा ! / अवनीश सिंह चौहान
Kavita Kosh से
किससे अब
क्या कहे सुलेखा
खनन माफ़िया
मिल कर लूटे
बाझ, कबूतर
पर ज्यों टूटे
मेट रहे
कुदरत का लेखा
छविया भोली
धरा-दबोचा
एक व्यवस्था ने
मिल नोंचा
पेपर में
दुनिया ने देखा
दुस्साहस
क्रशरों का बढ़ता
चट्टानों से
चूना झड़ता
मिटी हीर की
जीवन रेखा