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क्या तब भी / दुःख पतंग / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
स्त्री लिखते समय ही होती है
रचनाकार
या तब भी
जब बना रही होती है कोई व्यंजन
रसोईघर में
निखार रही होती है
दाल-चाय-सब्जी के
पीले-कत्थई-हरे रंगों को
रच रही होती है
अपने भीतर एक नया इन्सान
क्या तब भी स्त्री नहीं
होती है रचनाकार?