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क्यों नहीं जुटते / राजेन्द्र जोशी

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साल दर साल जोड़े
सदी बन गई
सांसो को जोड़ा जब
सुर बन गया
मन टूटे तो
देश बन गए
सीमाएं बन गईं
ईंट-ईंट जोड़ कर
इमारत बन गई
ईंटें जुड़ जाती हैं
क्यों नहीं जुड़ते मन