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क्योंकि / स्नेहमयी चौधरी
Kavita Kosh से
कुछ दिन पहले तक
निर्णय लेने में
उसे तनिक भी देर नहीं लगती थी।
- अब
- सुबह किस दिशा में मुँह करके खड़ी हो?
- शाम किस दिशा में?
- पता नहीं चलता।
एक सड़क घर ले जाती है
दूसरी दफ़्तर,
सुबह घर वापस आने को मन करता है
शाम दफ़्तर लौट जाने का
वैसे
एक निर्णय विवशता की तरह चिपका है।
क्योंकि
शाम : दफ़्तर बंद हो जाता है
सुबह : घर।
फ्रस्ट्रेशन को
मुट्ठी में कसकर पकड़े हुए भी
विपरीत दिशाओं की ओर
वह भागती रहती है।