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क्योंकि आदमी हैं हम-5 / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
वादा रहा
आपका संघर्ष व्यर्थ नहीं जाने दूंगा
मंदिर बनवाऊंगा, मूर्तियाँ लगवाऊंगा
मानवता के प्रति आपकी भूमिका के पेटे
एक वाल्मीकी, हाथों-हाथ अपॉइंट करवा दूंगा
वक़्त-ज़रूरत
तुलसीदास जैसों की सेवाएँ भी ली जाएंगी
आप आइए ज़रूर ख़ूब महिमा गाई जाएगी।