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क्लोन महानगर से एक चिट्ठी / रूचि भल्ला

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पुणे में भी रहता है जीवन
जैसे मुम्बई दिल्ली इलाहाबाद में रहता है
फर्क होता है जीवन जीवन में
जैसे होता है फर्क दो लोगों में
एलफ़िन्स्टन रोड पुणे में भी मिलेगी
मुम्बई में भी है एलफ़िन्स्टन रोड
फर्क है दोनों सड़कों में
मुम्बई के पास मिलेंगे कबूतर
दाने भी हैं मुम्बई की झोली में
दाने तो दिल्ली के पास भी हैं
दिल्ली का दिल बहुत बड़ा है
मुम्बई ने अपनी हथेली पर धर रखी है
नमक की डली
देश में मुम्बई का होना इतना ज़रूरी है
दिल्ली दिल है हिन्दुस्तान का
ज़रूरी है देश की धड़कन का बना रहना
मुम्बई की सड़कों पर घूमते हुए
मैंने तमाम शहरों को ढूँढा
देखा गेट वे आॅफ इंडिया को
याद आने लगा मुझे इंडिया गेट
समन्दर में इलाहाबाद की गंगा
दिल्ली की जमना को भी तलाशा
जब खड़ी देखा विक्टोरिया टर्मिनस को
सड़क के किनारे
उसके चेहरे से झाँकता दिखा स्टीवन का चेहरा
कैसे गया होगा स्टीवन
विक्टोरिया टर्मिनस को छोड़ कर
हाथ तो यहीं रह गए हैं
स्टीवन के वी टी के पास
पाँव चले गए हैं कहीं और
जिस्म कहीं और रूह कहीं और
क्या नाम बदल लेने से बदल जाएगी वी टी
क्या सच ही बन जाएगी सी एस टी
वी टी को देखती हूँ बम्बई याद आने लगता है
याद आता है जाॅनी वाॅकर का गाना
ये है बौम्बे मेरी जान !
स्टीवन भी यही गीत गाता होगा
वी टी को देख कर सीटी बजाते हुए
मैं वीटी की आँखों में झाँकती हूँ
मुझे वहाँ मुम्बई नहीं दिखती
दिखता है बौम्बे
मैं पूछना चाहती हूँ उससे
कैसा लगता है तुम्हें अपना बदला हुआ नाम ....
धर्म परिवर्तन करने से क्या सचमुच ही
बदल जाता है आदमी
वीटी बुत की तरह खड़ी रहती है
जवाब नहीं देती
सी एस टी की पटरियों पर गुज़रती गाड़ियों को
देखती रहती है
खड़ी देखती रहती है सवारियों की भीड़ को
तलाशती रहती है भीड़ के नकाब में छिपा
बौम्बे का चेहरा