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क्षणभंगुर सुख / प्रेरणा सारवान
Kavita Kosh से
एक क्षण का
सुख रूपी बादल
बनकर
यदि तुम बरसते नहीं
तो आसान था
मेरे लिए
सूख जाना
मगर अब
मुश्किल है
बरसे पानी से
जमी काई का
बरसों यह
गीलापन सहना
और रेत बनकर
अस्थिर बहते रहना।